मेरा महबूब निकला है वो हरजाई
कोई उसकी ख़बर यारो नहीं आई
कहा था मैंने तुम बिन जी नहीं लगता
कहा उसने मोहब्बत में है रुस्वाई
तेरे ग़म में बहुत ही डूब जाते हैं
मेरे जब गाँव में चलती है पुरवाई
तेरे जाने का दुख मुझको नहीं बिल्कुल
मेरे अब साथ है वो तेरी परछाई
जो शादी मुझसे करने वाली थी यारों
वो इक दिन अपने शौहर साथ में आई
तेरी यादों का झंझट काट दूँगा मैं
किसी से ज़हर की गोली है मँगवाई
उसे सारी परेशानी बताई थी
मगर उसने नहीं की मेरी सुनवाई
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