तुम्हारी जान-ए-जाँ मुझको ज़रूरत है
कहूँ क्या मैं यहाँ क़िस्मत में फ़ुर्क़त है
मोहब्बत करके सीने से लगाओ अब
सुनो मेरे यहाँ ऐसी रिवायत है
कोई आए मिरा दीदार करने को
मिरा ये क़ल्ब ख़ाली एक तुर्बत है
यहाँ हम मौत के हैं मुंतज़िर यारों
यहाँ हमको बहुत सारी सो फ़ुर्सत है
मोहब्बत में किसी को कुछ नहीं मिलता
सुनो लड़की तुम्हें मेरी हिदायत है
मोहब्बत अपनी छोड़ी है ख़ुदा पर ही
मुझे वो नइं मिले ये मेरी क़िस्मत है
मुझे सोना है गहरी नींद में अब तो
मुझे ख़्वाबों में अब उसकी ज़ियारत है
मिरा ये इश्क़ कैसे अब मुकम्मल हो
कोई माना नहीं घर में मुसीबत है
गले वो मुझको कस कर अब लगाए फिर
ये इक मुद्दत से मेरी यार हसरत है
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