शिव बिना अंत जयकार है
सत्य शिव पंथ सरकार है
शिव जगत के परम तत्व भी
नित्य शिव ही निरंकार है
शिव धरे है अहम इस तरह
मौन शिव तप अलंकार है
क्रोध शिव ने पिया है सभी
शिव हलाहल नमस्कार है
चंद्र को सिर पे रख जो लिया
शिव तिरा चंद्र आकार है
शेष को जब लगा कर गले
विष बना नित्य जयकार है
बैठ नंदी वहीं आज शिव
शिव दया सत्य स्वीकार है
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