यही पे बात अटकी है मैं कुछ होने से डरता हूँ
जिसे पाया नहीं है मैं उसे खोने से डरता हूँ
हमारे सामने की चीज़ ही दिखती नहीं हम को
हुआ मालूम ये खोकर कि मैं खोने से डरता हूँ
नज़र ख़ुद को लगा दूँगा लगा डर मुझ को रहता है
मैं जब भी मुस्कुराता हूँ तभी रोने से डरता हूँ
मदद सब जानकर भी मैं तुम्हारी कर न पाऊँगा
यही कारण है जो मैं रास्ता होने से डरता हूँ
लगेगा देखने से ये तुम्हें जागा हुआ हूँ मैं
मगर सच्चाई तो ये है कि मैं सोने से डरता हूँ
सुकून आता है फिर भी बैठ के कमरे के कोने में
मगर कोना तो आख़िर कोना है कोने से डरता हूँ
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