रक्खा है दिल गुमान-भरा उसके पैरों में
और आ गया ये बाँकपना उसके पैरों में
क्या क्या हो सकता था ये मलामत भी रहती है
मैंने बिताई रात ख़ुदा उसके पैरों में
फ़तवा निकल चुका है मेरे नाम का भी अब
कलमा जो मैंने बैठ पढ़ा उसके पैरों में
देखा जो हौसला कभी जंग-ए-हयात में
दुश्मन भी आके ख़ुद ही गिरा उसके पैरों में
सोचा था आज क़त्ल ही कर दें रक़ीब का
फिर ज़िंदा यूँ ही छोड़ दिया उसके पैरों में
तुम भेजते हो पहले फ़लक तक दुआ कोई
फिर आती है फ़लक से दुआ उसके पैरों में
राजा भी सोचे राज कुमारी ने देखा क्या
कासा भी टूटा फूटा पड़ा उसके पैरों में
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