तुम्हारे बाद सब उल्टा दिखाई देता है
कि साहिलों से भी सहरा दिखाई देता है
मैं इसलिए भी बहुत ख़ुश हूँ मेरी खिड़की से
तुम्हारे घर का जो रस्ता दिखाई देता है
हुजूम उसके बज़ाहिर है इर्द-गिर्द मगर
मुझे वो शख़्स तो तन्हा दिखाई देता है
गवाही तूने भी दी क़त्ल की हिमायत में
ज़मीर तेरा भी मैला दिखाई देता है
जिधर भी देखें बुरा ही बुरा है दुनिया में
तुम्हें जो देख ले अच्छा दिखाई देता है
वो पहली सफ़ में जो दुश्मन की है खड़ा 'साहिर'
मुझे वो शख़्स तो अपना दिखाई देता है
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