Yusha Abbas 'Amr'

Yusha Abbas 'Amr'

@abbasrizvi18

Abbas Rizvi 'Amr' shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Abbas Rizvi 'Amr''s shayari and don't forget to save your favorite ones.

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ख़ुश-क़िस्मत हूँ जो ऐसी तदफ़ीन मिलेगी जेलर साब
अपने हाथों से वो मेरा कफ़न सियेगी जेलर साब

हो पाए तो आप मुझे बस इसी जगह दफ़ना देना
मुझको है उम्मीद यहाँ इक कली खिलेगी जेलर साब

अभी अभी तो उसके अब्बा इस शादी को माने थे
जाने अगले ख़त में वो क्या बात लिखेगी जेलर साब

फाँसी से पहले ये प्याला उससे वापस ले आना
इस प्याले से पानी वो इक बार पियेगी जेलर साब

बरसों तक क़ानून थका अब क़लम का मुँह भी टूट चुका
अब भी उस पगली की ज़िद है मुझ पे मरेगी जेलर साब

मेरी माँ से कह दो मुझको मुआफ़ करे मिलने आए
पूछो आख़िर बारी मेरे गाल छुएगी जेलर साब

बूढ़े हैं माँ बाप मेरे और छत बरसों से टपकती है
मेरी कट जाएगी उनकी कैसे कटेगी जेलर साब

सारी मिट्टी सड़ जाएगी गन्दी बदबू आएगी
जहाँ जहाँ ख़ून-ए-नाहक़ की बूँद गिरेगी जेलर साब

क़ैदीघर की आज हर इक दीवार गिरेगी जेलर साब
अब से हम कुत्तों की ही सरकार चलेगी जेलर साब

थोड़ा और सँभाले ख़ुद को कर लें अपनी आँखें बंद
बहुत जुगाड़ू चाकू है कुछ देर लगेगी जेलर साब

क्यों आख़िर इस जंगल में इन्साँ बनने की ठानी थी
अब इस दार पे हम दोनों की शाम ढलेगी जेलर साब

ठीक है माना आपको सीएम का ही सीधा ऑडर है
अपनी सत्ता आने दें ये बात उठेगी जेलर साब

सुना है मैंने इस हफ़्ते में कुछ तो होने वाला है
बावर्चीख़ाने में अचानक आग लगेगी जेलर साब

इन दीवारों को मेरा हर जुर्म पता है मेरे बाद
इस कमरे से बेहद गन्दी महक उठेगी जेलर साब
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Yusha Abbas 'Amr'
ये दिल फिर टूटता है इत्तिफ़ाक़न
मुझे तू फिर मिला है इत्तिफ़ाक़न

क़सम तेरी मैं पत्थर बन चुका हूॅं
ये ऑंसू गिर रहा है इत्तिफ़ाक़न

निगूँ रहता था जो पहलू में तेरे
वो सर अब कट चुका है इत्तिफ़ाक़न

जो आया बाद तेरे उसका चेहरा
तिरे चेहरे ही सा है इत्तिफ़ाक़न

तुझे मुझसे भी बदतर मिल गया है
ये मेरी बददुआ है इत्तिफ़ाक़न

मुझे हर जानलेवा हादसे में
तिरा चेहरा दिखा है इत्तिफ़ाक़न

बिल-आख़िर आज उस खाई किनारे
तिरा बेटा खड़ा है इत्तिफ़ाक़न

पुराना था हवा से गिर पड़ा था
नया पंखा लगा है इत्तिफ़ाक़न

इमरजेंसी के ख़ाने में अभी तक
तिरा नम्बर लिखा है इत्तिफ़ाक़न

था वादा तो न मुॅंह लगने का यूशा
अचानक लब हिला है इत्तिफ़ाक़न
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Yusha Abbas 'Amr'
नाम पे तेरे मुझे मारा गया ये क्या ख़ुदा
ये मिला मुझको इबादत का सिला ये क्या ख़ुदा

सम्त उसकी आ रहे था तीर जो मैं खा गया
आख़िरश मैं तेग़ से उसकी मरा ये क्या ख़ुदा

इक तरफ़ कुछ गर्म सा लगता है बिस्तर आज भी
जो की सोता था उधर वो तो गया ये क्या ख़ुदा

एक पल को इक हॅंसी सी छूटती है और फिर
बस वहीं पर हो मैं जाता चुप खड़ा ये क्या ख़ुदा

मैं उसे जकड़े हुए था और वो कहती गई
कर रहीं हूॅं वापसी सू-ए-ख़ुदा ये क्या ख़ुदा

ख़ूॅं पसीने से ख़रीदी एक गाड़ी और उधर
मेरे बचपन का वो झूला जल गया ये क्या ख़ुदा

अब से पहले भी तो रसमन ये इबादत की गई
आज कैसे ये मिरा ऑंसू बहा ये क्या ख़ुदा

मैं सरापा प्यार था ख़ुशवार था हुश्यार था
मैं अचानक शायरी करने लगा ये क्या ख़ुदा
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Yusha Abbas 'Amr'
अक्स जब तेरा मुझे उसमे मिला तो हॅंस दिया मैं
ग़ौर से देखा जो मैने आइना तो हॅंस दिया मैं

तोहमतें सब झेलता था लैला मजनूॅं खेलता था
एक पत्थर जब मेरे सर पे पड़ा तो हॅंस दिया मैं

मौत मुझ तक आ रही थी नूर सा इक छा रहा था
नूर के पीछे तिरा चेहरा दिखा तो हॅंस दिया मैं

मेरी साॅंसों की रवानी आख़िरी मंज़िल पे पहुॅंची
इंतिहा पे फिर मिली इक इब्तिदा तो हॅंस दिया मैं

मैं खड़ा शमशान में ताज़ा यतीमी चख रहा था
उस चिता में मैं जो लड़का सा दिखा तो हॅंस दिया में

रात दिन सींचा जिसे था मैंने अपने ऑंसुओं से
है अजब वो जब हुआ मुझसे जुदा तो हॅंस दिया मैं

हर तरफ़ अफ़सुरदगी थी हादसे थे बेकली थी
जो न दूजा रास्ता कोई दिखा तो हॅंस दिया मैं

हर सिपर को तोड़ता था मैं मुक़द्दर मोड़ता था
वार से अपने ही मैं जब ख़ुद गिरा तो हॅंस दिया मैं

मैं तो यूशा रो रहा था एक जमघट हॅंस रहा था
हाॅं मगर जब वो भी मुझपे हॅंस पड़ा तो हॅंस दिया मैं
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Yusha Abbas 'Amr'