बस बयाबाॅं थे और वहशत थी
शायद अल्लाह को नदामत थी
पहले आदम के और आदम बाद
न अभी है न आदमीयत थी
अब ये जी दौड़ भाग माॅंगता है
पहले पहले मुझे भी फ़ुर्सत थी
आज जिस आसमाँ में तैरते हो
कभी मेरी वहाँ भी शिरकत थी
क्या कहोगी अगर कभी मैं कहूॅं
तुमसे पहले भी इक मोहब्बत थी
जब गिरे ही तो कर लिया सजदा
कुछ इसी हाल में इबादत थी
नहीं तुम में तो कोई नुक़्स न था
मुझे ख़ुद से ही कुछ शिकायत थी
आज चुप हो तो कल को चीख़ोगे
कुछ न कहना मेरी भी आदत थी
उसकी रहमत कि तब मिला मुझको
जब ख़ुदा की बड़ी ज़रूरत थी
बैठे जब ऐरोप्लेन में यूशा
जेब में साइकिल की क़ीमत थी
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