Amir Mausavi

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@amir-mausavi

Amir Mausavi shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Amir Mausavi's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
हम किनारा किए किनारों से
खेला करते हैं मंजधारों से

हम गुज़रते हैं खेलते हँसते
शोला-ज़ारों से ख़ारज़ारों से

नाम पाते हैं नासेह-ए-बे-नाम
हम से बदनाम बादा-ख़्वारों से

तुफ़ ब-मतलब-बरारी-ए-याराँ
उफ़ ये अतवार ख़ाकसारों से

जिन के दिल में गुलों की चाहत है
पहले वो सुरख़-रू हों ख़ारों से

दिल की राहों में बो लिए काँटे
कर के उम्मीद गुल-एज़ारों से

यूँ है जुम्बिश में फूल की डाली
वो बुलाते हैं जूँ इशारों से

यूँ तो मह-वश हज़ार देखे हैं
तुम जुदा हो मगर हज़ारों से

बुल-हवस है रक़ीब बातिन में
तौर ज़ाहिर में जाँ-निसारों से

इक फ़साना कि था दयार अपना
इक हक़ीक़त कि बे-दयारों से

तू ने ऐ दोस्त साथ क्या छोड़ा
दिल लरज़ता है अब सहारों से

गर्म बाज़ार है मिरे फ़न का
दाद पाता हूँ नक़्द-कारों से

रूठ जाएँ न वो कहीं 'आमिर'
शे'र पढ़िए न यूँ इशारों से
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Amir Mausavi
कर्ब दर-पर्दा-ए-तरब है अभी
मुस्कुराहट भी ज़ेर-ए-लब है अभी

हैं परेशाँ हयात के गेसू
न करो ज़िक्र-ए-सुब्ह शब है अभी

मिल तो सकता है आदमी में ख़ुदा
आदमी आदमी ही कब है अभी

लाख समझौते हाल से कीजिए
थी ग़ज़ब याद इक ग़ज़ब है अभी

किस क़दर कामयाब है इंसाँ
भूक ही मौत का सबब है अभी

ज़िंदगी तिश्नगी में थी सरशार
हो के सरशार तिश्ना-लब है अभी

बज़्म-ए-इम्काँ है जुज़्व-ए-फ़िक्र-ओ-नज़र
अक़्ल-ए-कुल अक़्ल-ए-बुल-अजब है अभी

इक हवस है कि क़हक़हा परवाज़
इक मोहब्बत कि जाँ-ब-लब है अभी

मिट गए फ़ासले ख़लाओं के
रंग है नस्ल है नसब है अभी

ख़ुद-नुमाई के वहम का इबहाम
नाम के साथ इक लक़ब है अभी

तुल रही है हयात हाथों पर
फ़ाएलुन फ़ाएलुन अदब है अभी

सब जो पाया है आज कुछ भी नहीं
कुछ जो खोया था कल वो सब है अभी

घर के टिकसाल की मशीनों में
दिल का वो शोर वो शग़ब है अभी

हर नज़र इक सवाल है 'आमिर'
हर नफ़स फै़सला-तलब है अभी
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Amir Mausavi
ये माना कि हस्ती नहीं जावेदानी
मोहब्बत है लेकिन मिरी ग़ैर-फ़ानी

ज़बाँ खुल न पाई तो दिल की कहानी
सुनाते रहे आँसुओं की ज़बानी

मिरे अश्क दामन से अपने न पोंछो
थमेगी न अश्कों की फिर ये रवानी

शिकायत नहीं है भुला दे अगर तू
न आ याद मुझ को बड़ी मेहरबानी

दिल-ए-ज़ार की तू ने फ़रियाद आख़िर
न मानी मिरी बात तू ने न मानी

गुनाहों के क़ाबिल न तिफ़्ली न पीरी
न तौबा पे माइल है अपनी जवानी

मिला उन को जल्वा जो होश अपने खोए
मिली होश-मंदी को बस लन-तरानी

नज़र उठ रही है उधर गाहे-गाहे
ज़बाँ बन रही है मिरी बे-ज़बानी

गुनहगार हैं शैख़ बचपन से शायद
गुज़रती है तौबा में उन की जवानी

कहानी कहीं बन गई है हक़ीक़त
हक़ीक़त कहीं बन गई है कहानी

मिरे हाल पर मेहरबानी न कीजे
यही आप की है बड़ी मेहरबानी

मिरे नाम पर ख़त्म कर दी है 'आमिर'
वफ़ाओं की छेड़ी है जिस ने कहानी
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Amir Mausavi
कोई मंजधार न धारा है ख़ुदा ख़ैर करे
आज क्यों पास किनारा है ख़ुदा ख़ैर करे

फिर नशेमन को सँवारा है ख़ुदा ख़ैर करे
बर्क़ की आँख का तारा है ख़ुदा ख़ैर करे

देखें लौट आती है आवाज़ कि मिलता है जवाब
दिल ने फिर तुझ को पुकारा है ख़ुदा ख़ैर करे

होश पाने का नहीं दिल कि जो पानी माँगे
ज़ुल्फ़-ए-शब-रंग का मारा है ख़ुदा ख़ैर करे

ज़ेहन अपनाए हुए फ़िक्र पे वो छाए हुए
घर न सामान हमारा है ख़ुदा ख़ैर करे

हो गया दर्द सिवा क्या हुआ बे-दर्द को आज
शिकवा-ए-दर्द गवारा है ख़ुदा ख़ैर करे

अब गरेबाँ ही सलामत है न दामन बाक़ी
फिर बहारों ने पुकारा है ख़ुदा ख़ैर करे

इक फ़ुसूँ-कार है ग़ारत-गर-ए-होश-ओ-तमकीं
जिस ने शीशे में उतारा है ख़ुदा ख़ैर करे

ख़िर्मन-ए-ज़ब्त-ओ-सुकूँ तेरा ख़ुदा हाफ़िज़ है
जल्वा-ए-यार शरारा है ख़ुदा ख़ैर करे

देखिए क्या हो कि आमादा-ए-फ़रियाद है दिल
अब न कुछ ज़ब्त का यारा है ख़ुदा ख़ैर करे

कल जिएँ या न जिएँ आज तिरे जाने पर
वक़्त मर मर के गुज़ारा है ख़ुदा ख़ैर करे

करवटें वक़्त बदलता है उठो चारागरो
कब से बेचारगी चारा है ख़ुदा ख़ैर करे

कितने ईसा हैं जो इस दौर में देते हैं जवाब
फिर सलीबों ने पुकारा है ख़ुदा ख़ैर करे

फिर कोई बन के मेहरबाँ न करे इस पे नज़र
ग़म को हँस हँस के निखारा है ख़ुदा ख़ैर करे

ज़िंदगी याद से तेरी न हो ग़ाफ़िल ऐ दोस्त
अब यही एक सहारा है ख़ुदा ख़ैर करे

क्या मिले दिल कि नज़र भी नहीं मिलती 'आमिर'
हुस्न ख़ुद-बीं-ओ-ख़ुद-आरा है ख़ुदा ख़ैर करे
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Amir Mausavi
ख़ाकसारों के फ़न करारे हैं
ख़ाक ओढ़े हुए शरारे हैं

आदमी ये भी वो भी सारे हैं
नित नए रंग-रूप धारे हैं

क्यों न ख़ुद-बीं हों माह-पारे हैं
प्यार करते नहीं जो प्यारे हैं

मिट गए जो वफ़ा की राहों में
कितने अनमिट निशाँ उभारे हैं

किस से शिकवा हो बेवफ़ाई का
हम तो अपनी वफ़ा के मारे हैं

यास ही यास तुम हमारे हो
आस ही आस हम तुम्हारे हैं

याद तेरी बड़ा सहारा है
तुझ को भूले तो बे-सहारा हैं

यूँ बुझे दिल की हसरतें न कुरेद
राख के ढेर में शरारे हैं

जिन की कोई सहर न शाम कोई
हम ने ऐसे भी दिन गुज़ारे हैं

कितने गुज़रे हैं हादसे दिल पर
वो जो प्यारे थे दिल को प्यारे हैं

जान लेवा हैं प्यार के रिश्ते
उन पे मरते हैं जिन के मारे हैं

ग़म में हँसता ख़ुशी में रोता है
तौर 'आमिर' के सब नियारे हैं
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Amir Mausavi