Amit Ahad

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@amit-ahad

Amit Ahad shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Amit Ahad's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
ख़ुदा की कौन सी है राह बेहतर जानता है
मज़ा है नेकियों में क्या क़लंदर जानता है

बहुत हमदर्द हैं मेरे मगर अंजान हैं सब
मिरे ज़ख़्मों की हालत को रफ़ूगर जानता है

किसी से मैं नहीं कहता मगर मेरी ग़रीबी
मिरी दीवारों का उखड़ा प्लस्तर जानता है

कभी मंदिर कभी मस्जिद पे है इस का बसेरा
धरम इंसानियत का बस कबूतर जानता है

सनम तेरी जुदाई में कटा है वक़्त मुश्किल
गिने दिन हिज्र में कितने कैलेंडर जानता है

कहीं भर पेट रोटी तो कहीं से हाथ ख़ाली
किसी की कैसी है निय्यत गदागर जानता है

मैं प्यासा रह के भी मिन्नत नहीं करता किसी की
बहुत ख़ुद्दार हूँ मैं ये समुंदर जानता है

किसी भी वक़्त ये मज़लूम कर देंगे बग़ावत
सितम की हो चुकी है हद सितमगर जानता है

रहें अर्थी से बाहर हाथ उस का क़ौल है ये
न कुछ भी साथ जाएगा सिकंदर जानता है

तुम्हारी याद में रातें कटी हैं मुश्किलों से
रहा हूँ कितना मैं बेचैन बिस्तर जानता है

न होगा दूसरा पैदा जहाँ में कोई गाँधी
बहुत अच्छी तरह से पोरबंदर जानता है

यहाँ है भीड़ में भी किस क़दर हर शख़्स तन्हा
तुम्हारे शहर का हर एक मंज़र जानता है

'अहद' जीने को तो सब जी रहे हैं इस जहाँ में
मगर इस ज़ीस्त का मतलब सुख़नवर जानता है
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Amit Ahad
जो इश्क़ में गुज़ारा लम्हा पसंद आया
आँखों में बस गया जो चेहरा पसंद आया

यूँ तो सफ़र किया है कितने ही रास्तों पर
लेकिन तिरे ही घर का रस्ता पसंद आया

मेरी निगाह में है तेरी तलाश बाक़ी
मेरी दीवानगी को सहरा पसंद आया

बे-शक निभा न पाए वा'दा किया जो तुम ने
लेकिन सनम तुम्हारा वा'दा पसंद आया

उठती है इस लिए भी तेरी तरफ़ निगाहें
तेरे हसीन रुख़ पर चश्मा पसंद आया

ग़ुस्से में लग रही हो तुम और ख़ूब-सूरत
दिल को बहुत तुम्हारा नख़रा पसंद आया

कुछ और देखने की हसरत रही न बाक़ी
जब से सनम तुम्हारा चेहरा पसंद आया

हो जाएगी मुकम्मल अब तो ग़ज़ल यक़ीं है
तेरे हसीं लबों का मिस्रा पसंद आया

बे-शक बहुत शिकायत तुझ को है इस जहाँ से
फिर भी 'अहद' ये तेरा लहजा पसंद आया
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Amit Ahad