नज़रें तो वो बचाता रहा
सपनो में फिर भी आता रहा
वो मुझे बस सताता रहा
मैं उसे बस मनाता रहा
हाल अपना बताता रहा
और उसको हँसाता रहा
जाम साक़ी पिलाता रहा
और ग़ज़लें मैं गाता रहा
लोगों ने जब मुझे पकड़ा तो
मुझको दोषी बताता रहा
चोर है बोल कर ख़ुद कहीं
वो खड़ा मुस्कुराता रहा
फिर सज़ा मुझको होने लगी
और वो दिल चुराता रहा
चाँद तो वो नहीं था मगर
चाँदनी वो बिछाता रहा
लिखते लिखते कहानी मिरी
हर किसी को सुनाता रहा
शाम होती रही और वो
दूर आतिफ़ से जाता रहा
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