Daem Gawwasi

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@daem-gawwasi

Daem Gawwasi shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Daem Gawwasi's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
चेहरे पे नूर-ए-सुब्ह सियह गेसुओं में रात
उतरी थी इक परी लिए अपने परों में रात

दिन तो शिकम की आग बुझाने में जाए है
शुक्र-ए-ख़ुदा कि कटती है दानिशवरों में रात

थी वज्ह-ए-ख़्वाब कल यही तस्कीन-ए-क़ल्ब भी
हम को तो अब डराने लगी ज़लज़लों में रात

हर साहब-ए-कमाल है फ़न के उरूज पर
क़िबला-नुमा रही है सभी हादसों में रात

आँखों में उन का हुस्न था सोता मैं किस तरह
आई थी गरचे घर मिरे कितने दिनों में रात

आवारगी की छाप वो आई थी छोड़ने
शर्मिंदा हो के लौट गई दिल-जलों में रात

कुछ देर हाव-हू का था मंज़र शबाब पर
दिन की थकी थी सो ही गई मंदिरों में रात

हम थे कि ग़र्क़-ए-जाम रहे मय-कशों के बीच
हम को तलाश करती रही आबिदों में रात

जुगनू चमक रहे थे उजाले में इश्क़ के
'दाएम' क़याम करती कहाँ बुज़दिलों में रात
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Daem Gawwasi
बाब-ए-रहमत पे दुआ गिर्या-कुनाँ हो जैसे
गुम-शुदा बेटे की मुज़्तर कोई माँ हो जैसे

उस की मुम्ताज़ की रूदाद-ए-मोहब्बत लिख दूँ
ऐसे कहता है कोई शाह-जहाँ हो जैसे

गुफ़्तुगू में वो हलावत वो अमल में इख़्लास
उस की हस्ती पे फ़रिश्ते का गुमाँ हो जैसे

उस की दुज़दीदा-निगाही के हैं सब ही घायल
कोई सय्याद लिए तीर-ओ-कमाँ हो जैसे

मुझ को उर्दू-ए-मुअ'ल्ला नहीं आती अब तक
तुझ को ये ज़ोम तिरे घर की ज़बाँ हो जैसे

हम को रखती है निशाने पे सियासत उन की
घर जलाने पे ब-ज़िद बर्क़-ए-तपाँ हो जैसे

उस के आते ही सनम-ख़ानों के बुत बोल उठे
मुश्रिकों में कोई एजाज़-ए-बयाँ हो जैसे

यूँ तिरी ज़ुल्फ़ की ख़ुशबू है सर-ए-शाम उड़ी
कश्ती-ए-फ़िक्र यम-ए-फ़न में रवाँ हो जैसे

तेरे अशआ'र उतर आते हैं 'दाएम' दिल में
हक़-परस्तों के लिए सौत-ए-अज़ाँ हो जैसे
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