Kaleem Ahmadabadi

Kaleem Ahmadabadi

@kaleem-ahmadabadi

Kaleem Ahmadabadi shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Kaleem Ahmadabadi's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
इंक़िलाब-ए-दहर रुक रुक कर जवाँ बनता गया
जो सुबुक-सर था वही संग-ए-गराँ बनता गया

नग़्मा-ए-दिल जब बढ़ा आह-ओ-फ़ुग़ाँ बनता गया
आसमाँ इक और ज़ेर-ए-आसमाँ बनता गया

जाने क्या भर दी हैं उस ने इस चमन में शोख़ियाँ
जो भी आया वो चमन का राज़-दाँ बनता गया

हर-नफ़स को अपनी मंज़िल का पता मिलता नहीं
जो जहाँ ठहराव हैं इक कारवाँ बनता गया

सर्द आहों का तसर्रुफ़ हो तो सोज़-ए-दिल कहाँ
दिल से जो शो'ला उठा वो भी धुआँ बनता गया

बे-सबब होता नहीं जज़्बात-ए-दिल का वलवला
जिस ने समझा आई अपना राज़-दाँ बनता गया

कुछ बहारों में ख़िज़ाँ है कुछ ख़िज़ाँ में है बहार
फूल मुरझाए तो ग़ुंचा गुलिस्ताँ बनता गया

आदमी की असलियत को आदमी समझा नहीं
एक क़तरा था जो बहर-ए-बे-कराँ बनता गया

हम तो बैठे ही रहे अपनी असीरी को लिए
बनने वाला काम बे-वहम-ओ-गुमाँ बनता गया

'मीर'-ओ-'ग़ालिब' से बढ़े तो हज़रत-ए-इक़बाल तक
शग़्ल शेर-ओ-शायरी का जावेदाँ बनता गया

दहर में ये भी तो हैं क़ानून-ए-फ़ितरत के उसूल
जो नज़र से गिर गया वो दिलसिताँ बनता गया

बर्क़ की सर-गरमियाँ तसनीम फिर भी ऐ 'कलीम'
बिजलियाँ गिरती रहें और आशियाँ बनता गया
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Kaleem Ahmadabadi