रहेगा पार अब कुछ भी नहीं सामान जो भी हो
कि पुल ही ढह चुका ऐ दिल तिरा फ़रमान जो भी हो
कहीं घायल मिले तो पूछ लो पानी ज़रा उससे
भले बढ़ता रहे हर ओर रेगिस्तान जो भी हो
वो थे जितने भी सूरज सब के सब ढलते गए मतलब
अँधेरा ढूँढ ही लेता है रौशनदान जो भी हो
कभी तेरे चमन पर ख़ास तितली जान छिड़केगी
बढ़ाता जा चमन की शान तू नुक़सान जो भी हो
यहाँ कोई नहीं रुकता मरम्मत के लिए यारो
गिरेबाँ चाक ही पहने चलो हैरान जो भी हो
वरक़ पर आज के ठहरा है बरसों में फ़लक आओ
लिखें ज़िंदान में भी नज़्म हम उनवान जो भी हो
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