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तेरी ख़ुशबू तेरा लहज़ा नहीं है  - Aadil Rahi

तेरी ख़ुशबू तेरा लहज़ा नहीं है
कोई भी शहर में तुझसा नहीं है

जिसे देकर तसल्ली तुम बुझा दो
समझता है यह दिल बच्चा नहीं है

बिछड़ कर उसने भी आवाज़ न दी
पलट कर मैंने भी देखा नहीं है

मोहब्बत इश्क़ चाहत ज़िंदगानी
वो मेरे वास्ते क्या क्या नहीं है

बताओगे भला किस को हक़ीक़त
यहाँ पर कोई भी सुनता नहीं है

पलटना भी नहीं है मुझ को राही
मगर आगे कोई रस्ता नहीं है

- Aadil Rahi

Mohabbat Shayari

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