तेरी ख़ुशबू तेरा लहज़ा नहीं है
कोई भी शहर में तुझसा नहीं है
जिसे देकर तसल्ली तुम बुझा दो
समझता है यह दिल बच्चा नहीं है
बिछड़ कर उसने भी आवाज़ न दी
पलट कर मैंने भी देखा नहीं है
मोहब्बत इश्क़ चाहत ज़िंदगानी
वो मेरे वास्ते क्या क्या नहीं है
बताओगे भला किस को हक़ीक़त
यहाँ पर कोई भी सुनता नहीं है
पलटना भी नहीं है मुझ को राही
मगर आगे कोई रस्ता नहीं है
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