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गिरा हूं ऐसे मैं दुनिया जहां की नज़रों से - Aditya

गिरा हूं ऐसे मैं दुनिया जहां की नज़रों से
गिरी है जैसे जमीं आस्मां की नज़रों से

करीम कौन हमारा यहां सिवा तेरे
बचा ले ख़्वाब हमारे वबा की नज़रों से

दुआएँ सुनता नहीं वो मुझे तो लगता है
उतर गया हूं मैं तेरे खुदा की नज़रों से

चिराग़ एक अकेला हूं शहर भर का मैं
बचा रहा हूं सो खुद को हवा की नज़रों से

- Aditya

Duniya Shayari

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