रात को फिर ज़िलों ने घेरा है - Chetan

रात को फिर ज़िलों ने घेरा है
हमको कुछ बुज़दिलों ने घेरा है

कब तेरे सदमे से निकल पाए
बस नई मुश्किलों ने घेरा है

उसको गहराई से नहीं मतलब
उसको बस साहिलों ने घेरा है

रात के साथ हम अकेले थे
सुबह को ग़ाफ़िलों ने घेरा है

आख़िरश भूल जाते हैं किस ग़म ने
हम परेशाँ-दिलों को घेरा है

- Chetan
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