सबकी आँखों से बच के निकले हैं - Chetan

सबकी आँखों से बच के निकले हैं
तौर मुझसा है शेर मेरे हैं

इश्क़ हल्का तो उतरे बोतल में
राम सा हो तो संग तैरे हैं

जिसपे ये ज़िंदगी यक़ीं करती
हमने क्या वैसे ख़्वाब देखे हैं

सुन कहीं खा न ले ज़बाॅं अपनी
कहता है जो कि ज़ख़्म गहरे हैं

- Chetan
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