प्यार तुम से मुझे हो गया, क्या करूँ
दिल ये मेरा न बस में रहा, क्या करूँ
आज शब जैसे तैसे बसर कर लूँ मैं
पर बसर आज शब करने का, क्या करूँ
फोड़ लूँ सर या ख़ुद को करूँ मैं तबाह
कैसे इक दम जियूँ मैं बता, क्या करूँ
ज़िंदगी मुझ को उस बिन नहीं है क़ुबूल
मुझ से है पर वो पूरा खफ़ा, क्या करूँ
छोड़ जाना मुझे चाहता है वो शख़्स
इस क़दर मुझ से है मुब्तला, क्या करूँ
चीर कर दिल लहू से लिखूँ उसका नाम
इश्क़ में उससे ये इब्तिदा, क्या करूँ
रूह दिल अंदरूँ सब तुझे दे दिए
इश्क़ दिखलाने को और क्या, क्या करूँ
बेकसी में कहाँ किसके मैं जाऊँ पास
हो गया वो तो मुझ से जुदा, क्या करूँ
ज़िन्दगी ख़ूबसूरत बहुत है मगर
पस्त है जीने का हौसला, क्या करूँ
अपनी ही ख़ामी से उसको हारा है "दीप"
पूरा बरबाद अब हो चुका, क्या करूँ
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