दिल के मुआमले में चक्कर लगा-लगा के
आती है अक्ल सबको ठोकर लगा लगा के
तुम ही नहीं हो जिसकी अस्मत पे आँच आई
हम भी गए हैं लूटे खंज़र लगा लगा के
आँखें बिछी हैं जबसे आने की ख़बर आई
दिल को सजा रहे है झालर लगा लगा के
आओ के अब के सावन यूँ ही न बीत जाए
कब तक समेटूं ख़ुद को बिस्तर लगा लगा के
क्या क्या दिए हैं सुविधा लोगों के बीच अबतक
गिनवा रहे हैं हाकिम बैनर लगा लगा के
पहली दफ़ा जो घर से निकले तो माँ ने बोला
पूछेगी हाल दुनिया ठोकर लगा लगा के
हालत तो देख मालिक दुनिया की तेरे हाए
रोता नहीं तूँ ऐसे मंज़र लगा लगा के
वल्लाह उसकी आदत आती है शर्म मुझको
लेती है नाम मेरा मिस्टर लगा लगा के
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