जो ज़िन्दगी ने सताया तो हाए रोने लगे
बहुत दबाव बनाया तो हाए रोने लगे
हैं अंदरून से नाज़ुक-मिज़ाज हम इतने
कि दिल किसी ने दुखाया तो हाए रोने लगे
यही हुआ है कि जब भी दबा के दिल की बात
बहुत दिमाग़ लगाया तो हाए रोने लगे
किसी के बच्चे हों लेकिन जवान बच्चों के
सरों से उठ गया साया तो हाए रोने लगे
हमारे चेहरे पे बिखरे पड़े ग़मों को देख
किसी ने यार हँसाया तो हाए रोने लगे
तमाम शिकवे थे तुम से मगर हवाओं ने
तुम्हारा हाल सुनाया तो हाए रोने लगे
रवाँ हैं दिल में कई रंज सो किसी ने जब
हमें गले से लगाया तो हाए रोने लगे
जड़ें उदासी की सीने में इतनी गहरी हैं
कि दिन ख़ुशी का भी आया तो हाए रोने लगे
Read Full