तेरी ख़ूबी के आगे दुनिया में कुछ भी ख़ूब नहीं
यानी दुनिया में तुझसा दूजा कोई महबूब नहीं
इश्क़ समंदर में मरना है मर जा लेकिन याद रहे
डूबना ठहरे पानी में बहते पानी में डूब नहीं
गर झगड़ा हो जाए तो उसका उस्लूब बदल जाता
उसका झगड़ा अच्छा लगता है लेकिन उस्लूब नहीं
इश्क़ में शोख़ी-ए-तबअ तभी तो अच्छा लगता है जानाँ
लड़ कर ग़ुस्सा जाऊँ तुझसे तू इतनी मातूब नहीं
जो भी आता है इस दुनिया में दर दर ठोकर खाता है
तेरी बनाई इस दुनिया का मैं पहला मज़रूब नहीं
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