किसको हम-नशीं करते किसको हम-नवाँ करते

  - Milan Gautam

किसको हम-नशीं करते किसको हम-नवाँ करते
कौन बा-मुरव्वत है किसको राज़-दाँ करते

कोई हमको मिल जाता ख़त्म जुस्तुजू होती
दिल कहीं लगा लेते इश्क़ जावेदाँ करते

क़ुव्वत-ए-तनफ़्फ़ुस है मुज़्महिल रियाओं की
कैसे पीके हम सिगरेट सारे ग़म धुआँ करते

फूलों के दिवाने ही बाग़ रौंद जाते हैं
किससे क़ुर्बतें करते किससे दूरियाँ करते

पढ़ने लिखने की ये उम्र ज़ाया कर दी शोख़ी में
कम-से-कम मोहब्बत में उम्र राएगाँ करते

भारी मन से कहते हैं वो नहीं बदल सकता
पुर-यक़ीन होते तो उस पे हम गुमाँ करते

बन गए सभी नासूर हो रही है ख़ूँ-रेज़ी
मेरे ज़ख़्म भर जाते तुम जो पट्टियाँ करते

  - Milan Gautam

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