ज़िंदगी से कोई भी आसरा नहीं मुझे
जो नसीब में न था वो मिला नहीं मुझे
तू क़िसास कम से कम बीच दरिया में न ले
कश्ती-बान है तो क्या तू डुबा नहीं मुझे
मैं किसी का भी मज़ाक़ क्यूँ बनाऊँगा भला
हर किसी की ख़्वारी से फ़ाएदा नहीं मुझे
इश्क़ करना दुनिया में बे-हयाई है अगर
ऐसी बे-हयाई से फिर हया नहीं मुझे
As you were reading Shayari by Milan Gautam
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