दीप जलते हुए हम बुझाते नहीं
मुस्कुराते हुए को रुलाते नहीं
हमको मालूम है दिल ये नादान है
इसलिए दिल किसी का दुखाते नहीं
है मुहब्बत उन्हें भी पता है हमें
इश्क़ कितना है पर वो बताते नहीं
ध्यान रखते हैं वो हर मिरी बात का
प्यार करते तो हैं पर जताते नहीं
जानें क्यूँ लोग रिश्ते बनाते हैं फिर
जब उन्हें वो कभी भी निभाते नहीं
दौड़कर आते थे जो फ़क़त फ़ोन पर
अब बुलाने पे भी यार आते नहीं
बात जो करते हैं साफ़ ही करते हैं
बात को हम कभी भी घुमाते नहीं
दोस्त माना है गर मुझको तुमने कभी
दोस्त से बात फिर कुछ छुपाते नहीं
सबको हमसे फ़क़त इक शिकायत यही
जाने क्यूँ यार तुम मुस्कुराते नहीं
बात दिल की किसी से नहीं कहते हैं
घाव दिल के सभी को दिखाते नहीं
शान से चलते हैं सर उठा के 'अमन'
हर किसी दर पे सर हम झुकाते नहीं
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