कोई जहाँ में ख़ूब-रु इतना नहीं हुआ
मानिंद उसके कोई भी चेहरा नहीं हुआ
लगता है जंग-ए-इश्क़ में उतरा नहीं कोई
उल्फ़त में इन दिनों कोई शैदा नहीं हुआ
पहले तो आँख काम में लायी गयी मेरी
फिर बाद में कहा कि मैं दरिया नहीं हुआ
तुम लोग भी यक़ीन मुहब्बत में कर रहे
यानी तुम्हारे साथ में धोखा नहीं हुआ ?
कैसे करें उरूज की बातें किसी से हम
कुछ भी तो अपने साथ में अच्छा नहीं हुआ
इस बात की ख़ुशी नहीं बेटी हुयी है घर
हम इसलिए दुखी हैं कि बेटा नहीं हुआ
कोई नहीं जो मुझको दुआओं में माँग ले
यानी किसी का मैं कभी सपना नहीं हुआ
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