मसअला होता है ये भी ख़ुदकुशी का
ख़त्म ग़म होता नहीं है हर किसी का
धीरे धीरे इश्क़ चढ़ना तीसरी का
है बताता जाना तय है दूसरी का
रस्सियाँ हैं और पंखें भी हैं घर में
है नहीं सामान पर ये खुदकुशी का
नाम राधे श्याम लेती क्यों है दुनिया
प्यार झूठा तो नहीं था रुक्मणी का
दोस्त से जब मांगे पैसे मैने तब वो
दे रहा था झांसा मुझको मुफ़लिसी का
लड़कियों को जानना भी सहल होता
इश्क़ में होता अग़र डर उस छड़ी का
सोचता हूँ बैठके दफ़्तर में हर दिन
मैं कोई नौकर नहीं हूँ दफ़्तरी का
नौकरी को गाली देता है वो लड़का
हाँ वो जो मारा हुआ है नौकरी का
मैं दवा तो ढूंढ लूँगा इश्क़ तेरी
रास्ता मिल जाए पहले वापसी का
तुमको कुछ मालूम है तो फ़िर बताओ
कोई चारासाज़ है क्या दिल-लगी का
आरज़ू है एक अनजाने शहर में
हाथ पकड़े घूमूँ मैं इक अजनबी का
ताज को तुम इश्क़ की मानो निशानी
मानता हूँ जादू मैं कारीगरी का
जो हसीना हमको हँसकर देखती है
उस हसीना को पता है तिश्नगी का
एक बेटा मंदिरों में बैठता है
काम करता एक बेटा मौलवी का
मुझमें से बदबू नहीं आएगी लेकिन
काम करता हूँ मैं यारों गंदगी का
Read Full