हमारी आँख में आया तो क्या बेकार है आँसू
तुम्हारी आँख में लेकिन सही हथियार है आँसू
नदी मिलती है दरिया से तो रोती है सिसक कर वो
तभी दरिया के खारेपन का ज़िम्मेदार है आँसू
न हमको इश्क़ होता है न कोई तोड़ता है दिल
बहुत दिन से हमारी आँख में बेज़ार है आँसू
अगर जो हुक्म दिल का हो कि झूठा मुस्कुराना है
नहीं आँखों में आता है बहुत ख़ुद्दार है आँसू
उसे आना ख़ुशी में है या उसको ग़म में आना है
नज़ाकत वक़्त की समझे सलीक़ेदार है आँसू
तेरा ग़म चाटता है मुझको दीमक की तरह उस पर
बड़ा सा एक ग़म ये भी कि अब दुश्वार है आँसू
फ़क़त इक चोट बस कर दो हमारे दिल पे तुम साक़ी
हमेशा की तरह पाओगे फिर तैयार है आँसू
As you were reading Shayari by Saket Gupta Saaki
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