जो उतर आई है दिल में तेरी ही तस्वीर है - Sanjay Bhat

जो उतर आई है दिल में तेरी ही तस्वीर है
रंग तेरा ही है इस में तेरी ही तफ़्सीर है

मेहरबाँ है ये किसी पर और किसी से है ख़फ़ा
शोख़ है ये मनचली है कहने को तक़दीर है

बारहा मैं लौट आता हूँ भटक कर अपने घर
लिपटी मेरे पाँव से घर की कोई ज़ंजीर है

क्या इरादा कर लिया है मारने और मरने का
साफ़ दिखता है तुम्हारे हाथ में शमशीर है

इस जहाँ को जंग का मैदाँ बना बैठे हो क्यों
क्यों गुमाँ ये है कि दुनिया आप की जागीर है

- Sanjay Bhat
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