सामने जब हमारे आया करो
जान बस आप मुस्कुराया करो
मुंतज़िर रहता हूँ मुसलसल मैं
छत पे कपड़े सुखाने आया करो
ग़ज़लें लिक्खी हैं आपकी ख़ातिर
आप दुनिया को मत सुनाया करो
हो मेरे यार तुम पे लाज़िम है
मैं जो रूठूँ मुझे मनाया करो
वक़्त आ जाए दोस्तों पे अगर
बार-ए-ग़म साथ में उठाया करो
मैं तुम्हारा हूँ मेरी बात सुनो
अपनी सखियों को मत बताया करो
वादा जब भी करो किसी से सुनो
वादा कर के उसे निभाया करो
मैं गली तक तुम्हारी आता हूँ
तुम भी खिड़की पे अपनी आया करो
इश्क में पड़ के नौ जवानों सुनो
ज़िंदगी को मत अपनी ज़ाया करो
आप तो दीं शनास हो हमदम
बा रिदा हो के घर से आया करो
हुस्न की मालिका ग़रीबों को
हुस्न का दीद तो कराया करो
तुम ज़ुलेख़ा हो दौरे हाज़िर की
ये हक़ीक़त है मान जाया करो
Our suggestion based on your choice
As you were reading Shayari by Shajar Abbas
our suggestion based on Shajar Abbas
As you were reading Miscellaneous Shayari