है चेहरा चाँद सा तेरा तबीब की बेटी
और उसपे ज़ुल्फ़ का पहरा तबीब की बेटी
मैं इनको देखूँ तो मुझको ख़ुमार आता है
है तेरी आँखों में नश्शा तबीब की बेटी
वो जैसे चाँद की करवट में कोई तारा हो
है इस तरह तेरा झुमका तबीब की बेटी
मुझे दुआओं में माँगो ख़ुदा से अपने लिए
मैं बे सबब ना मिलूँगा तबीब की बेटी
बना के क़ाफ़िया लहजा रदीफ़ हुस्न तेरा
मैं गज़लें तुझ पे लिखूँगा तबीब की बेटी
तुम्हारी सादगी अख़लाक का ख़ुदा की क़सम
मैं बन गया हूँ दीवाना तबीब की बेटी
घटाएँ गाँव में आने का बस यही है सबब
तुम्हारा ज़ुल्फ़ें हिलाना तबीब की बेटी
ग़ज़ल अधूरी है जो यार वो मुकम्मल हो
शजर की ख़्वाब में आना तबीब की बेटी
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