उदास है फ़ज़ा तो फिर उदास रहने दो
लबों पे रक्खी लबों की ये प्यास रहने दो
मिटाओ मत मेरे माथे से अपना नक़्श-ए-लब
निशानी अपनी कोई मेरे पास रहने दो
अभी नहीं है कोई वज्ह होश पाने की
सो जाओ मुझको अभी बदहवास रहने दो
तुम इतने ग़ौर से मत देखो डर लगेगा तुम्हें
मेरी इन आँखों पे कोई लिबास रहने दो
हमारे दुख भी हमारे लिए है ढेर अज़ीज़
हमारे जैसों को तुम ग़म-शनास रहने दो
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