इश्क़ में जीत का इम्कान नहीं है कोई
इसलिए हार के हैरान नहीं है कोई
बस यही भूल तो की है कि मोहब्बत कर ली
भूल सब करते हैं भगवान नहीं है कोई
तेरे चेहरे पे लिखी तो हैं बहुत सी नज़्में
लेकिन उन नज़्मों का उनवान नहीं है कोई
दिल में उम्मीद जगाओगे चले जाओगे
काम ये इतना भी आसान नहीं है कोई
दर्द तकलीफ़ सितम सारा मुझी से लोगे
घर में क्या पहले से सामान नहीं है कोई
जान मैं फूल तो ले लूँगा तुम्हारा लेकिन
फूल के रखने को गुलदान नहीं है कोई
जानते सब हैं मगर फिर भी बने हैं अंजान
जानता हूँ मैं भी अंजान नहीं है कोई
देखा है मैंने मोहब्बत को भी कल बिकते हुए
क्या मोहब्बत का भी ईमान नहीं है कोई
As you were reading Shayari by Yuvraj Singh Faujdar
our suggestion based on Yuvraj Singh Faujdar
As you were reading undefined Shayari