कैसी वहशत मेरे अंदर आ गई
जब अचानक वो बराबर आ गई
झूठ उसको और ख़ुद को ये कहा
जिंदगी में उससे बेहतर आ गई
ख़ामुशी कुछ पल थी अपने दर्मियाँ
फिर हया की एक चादर आ गई
ख़ूब समझा मैं भी शाइर की ज़बाँ
शाइरी जब मेरे ऊपर आ गई
हैं तरक़्क़ी के ये सारे मोजिज़े
आप कहती नस्ल तू पर आ गई
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