ठहर आँखों में जाना चाहता हूँ

  - Aatish Indori

ठहर आँखों में जाना चाहता हूँ
नज़र हर पल मैं आना चाहता हूँ

तवाइफ़ से चुरा लाया हूँ घुँघरू
अमीरी को नचाना चाहता हूँ

बुरा इस वजह से लगता नहीं है
मैं रिश्ते को निभाना चाहता हूँ

मुझे गहराई उसकी देखनी है
मैं उसको वरग़लाना चाहता हूँ

कहीं पर भी मुझे दफ़ना न देना
मैं लफ़्ज़ों में समाना चाहता हूँ

  - Aatish Indori

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