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टूटते इश्क में कुछ हाथ बंटाते जाते  - Abbas Tabish

टूटते इश्क में कुछ हाथ बंटाते जाते
सारा मलबा मेरे ऊपर ना गिराते जाते

इतनी उजलत में भी क्या आंख से ओझल होना
जा रहे थे तो मुझे तुम नजर आते जाते

कम से कम रखता पलटने की तवक़्क़ो तुम से
हाथ में हाथ लिया था तो दबाते जाते

किन अंधेरों में मुझे छोड़ दिया है तुमने
इस से बेहतर था मुझे आग लगाते जाते

मैं भी होता तेरे रस्ते के दरख़्तों में दरख़्त
इस तरह देख तो लेता तुझे आते जाते

- Abbas Tabish

Andhera Shayari

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