देख सबकी बदल रही चालें

  - Prashant Kumar

देख सबकी बदल रही चालें
बता किस हुस्न पे नज़र डालें

दिल की कक्षा में नाम लिखवा लें
मेरी तस्वीर उसमें लगवा लें

सब सुनेंगे उन्हीं की फिर पहले
एक दाना दराज़ में डालें

सभी की आस्तीन ख़ाली हैं
साँप हैं ही नहीं तो क्या पालें

अरे आराम से चलेंगे अब
ज़िंदगी रुक तो जा दवा खालें

कौन है आ गया है दिल जिस पर
रात में उसको घर से उठवालें

एक ही बात है तुम अपना लो
या मुझे ये रक़ीब अपना लें

अरे अमृत की बात करती हो
प्यार से दो तो ज़हर भी खा लें

  - Prashant Kumar

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