क्यूँ मुझसे किसी को भी यहाँ प्यार नहीं है
कोई भी मिरे दिल का ख़रीदार नहीं है
हर शख़्स ने मुझको नज़र अंदाज़ किया है
माफिक मिरे लगता है ये संसार नहीं है
बैठे हैं हर आँगन में मोहब्बत के हकीम और
कहते हैं कोई इश्क़ का बीमार नहीं है
आ पास तिरे हुस्न का कुछ मोल चुका दूँ
माना ये तिरे रूप का बाज़ार नहीं है
गुब्बारा तो फूलेगा चलो लिख नहीं सकते
दुनिया में कोई चीज़ कि बेकार नहीं है
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