तुम इतनी देर लगाओगे दिल लगाने में - Prashant Kumar

तुम इतनी देर लगाओगे दिल लगाने में
हम इतनी देर में घूम आएँगे ज़माने में

खँगाल आए वो दुनिया चराग़ लेके मगर
मिरी तरह न मिला कोई भी ज़माने में

कोई ज़मीर चुराकर अमीरज़ादों का
अब आ रहा है हमारे ग़रीबख़ाने में

हबीब हो या रक़ीब-ए-हयात या ख़ालिक़
कसर किसी ने नहीं छोड़ी दिल दुखाने में

ख़ुदा निगाह चुराकर हर एक ज़ाहिद से
कि आ गया है तुम्हारे शराबख़ाने में

तिरा वकील बड़ा हूड़ क़िस्म का है साल
कई लगाए ज़मानत मिरी कराने में

- Prashant Kumar
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