उसने तो आज वस्ल का वादा निभा लिया - Prashant Kumar

उसने तो आज वस्ल का वादा निभा लिया
आधी ही रात को हमें छत पर बुला लिया

दिल पर हमारे नाम का टैटू बना लिया
सर पर हमारी याद का झंडा लगा लिया

जीवन बग़ैर इश्क़ के कुछ भी नहीं सुनो
या'क़ूब ने तो रोग ये दिल से लगा लिया

अपनी अदा से लग रहा वाक़िफ़ नहीं कोई
जिसका भी मन हुआ उसे ऐसे पटा लिया

ये इश्क़ तो बहुत ही बुरी चीज़ है ख़ुदा
लैला के एक क़ैस ने ख़ुद को मिटा लिया

कैसे छुपाते फिर रहे चेहरे इधर-उधर
हमने तुम्हारी उम्र में खुलकर मज़ा लिया

पीछे नहीं रहे हैं किसी मामले में हम
हमने हर एक चीज़ का जमकर मज़ा लिया

हम आज तक डरे न किसी के भी बाप से
बाँहों में जिसको चाहा उसे खट बुला लिया

हर दौर में रहे हैं गणित के महारथी
महरूमियत का फिर भी तो क़श्क़ा लगा लिया

काँटा सा चुभ गया था मिरे पाँव में 'प्रशांत'
सारा जहान उसने तो सर पर उठा लिया

- Prashant Kumar
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