0

ज़रा सी देर को चमका था वो सितारा कहीं  - Aftab Hussain

ज़रा सी देर को चमका था वो सितारा कहीं
ठहर गया है नज़र में वही नज़ारा कहीं

कहीं को खींच रही है कशिश ज़माने की
बुला रहा है तिरी आँख का इशारा कहीं

ये लहर बहर जो मिलती है हर तरफ़ दिल में
बदल गया ही न हो ज़िंदगी का धारा कहीं

ये सोच कर भी तो उस से निबाह हो न सका
किसी से हो भी सका है मिरा गुज़ारा कहीं

रवाँ-दवाँ रहो हर-चंद 'आफ़्ताब-हुसैन'
दिखाई देता नहीं दूर तक किनारा कहीं

- Aftab Hussain

Miscellaneous Shayari

Our suggestion based on your choice

More by Aftab Hussain

As you were reading Shayari by Aftab Hussain

Similar Writers

our suggestion based on Aftab Hussain

Similar Moods

As you were reading Miscellaneous Shayari