Aftab Hussain

Aftab Hussain

@aftab-hussain

Aftab Hussain shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Aftab Hussain's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
क़दम क़दम पे किसी इम्तिहाँ की ज़द में है
ज़मीन अब भी कहीं आसमाँ की ज़द में है

हर एक गाम उलझता हूँ अपने आप से मैं
वो तीर हूँ जो ख़ुद अपनी कमाँ की ज़द में है

वो बहर हूँ जो ख़ुद अपने किनारे चाटता है
वो लहर हूँ कि जो सैल-ए-रवाँ की ज़द में है

मैं अपनी ज़ात पे इसरार कर रहा हूँ मगर
यक़ीं का खेल मुसलसल गुमाँ की ज़द में है

मिरे वजूद के अंदर उतरता जाता है
है कोई ज़हर जो मेरी ज़बाँ की ज़द में है

लगी हुई है नज़र आने वाले मंज़र पर
मगर ये दिल कि अभी रफ़्तगाँ की ज़द में है

यही नहीं कि फ़क़त रिज़्क़-ए-ख़्वाब बंद हुआ
गदा-ए-कू-ए-हुनर भी सगाँ की ज़द में है

उफ़ुक़ उफ़ुक़ जो मिरे नूर का ग़ुबार उड़ा
ये काएनात मिरे ख़ाक-दाँ की ज़द में है
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Aftab Hussain
रास्ता ख़्वाब के अंदर से निकलता हुआ था
कोई क्या ख़्वाब के अंदर से निकलता हुआ था

वो महक थी कि मुझे नींद सी आने लगी थी
फूल सा ख़्वाब के अंदर से निकलता हुआ था

ये किसी ख़्वाब का अहवाल नहीं है कि मैं ख़्वाब
देखता ख़्वाब के अंदर से निकलता हुआ था

ख़्वाब थे जैसे परिंदों ने परे बाँधे हों
सिलसिला ख़्वाब के अंदर से निकलता हुआ था

मुझ को दुनिया के समझने में ज़रा देर लगी
मैं ज़रा ख़्वाब के अंदर से निकलता हुआ था

नज़र उठती थी जिधर भी मिरी मंज़र मंज़र
ज़ाविया ख़्वाब के अंदर से निकलता हुआ था

वो निकलता हुआ था ख़्वाब-कदे से अपने
ख़्वाब था ख़्वाब के अंदर से निकलता हुआ था

इक सिरा जा के पहुँचता था तिरी यादों तक
दूसरा ख़्वाब के अंदर से निकलता हुआ था

क्या बताऊँ कोई ईमान कहाँ लाएगा
कि ख़ुदा ख़्वाब के अंदर से निकलता हुआ था

सुब्ह जब आँख खुली लोगों की लोगों पे खुला
जो भी था ख़्वाब के अंदर से निकलता हुआ था
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