एक क़ातिल हुनर से बनाया गया
जब कुल्हाड़ा शजर से बनाया गया
फँस गया आँख के एक हिस्से में मैं
जो यक़ीनन भँवर से बनाया गया
अब हकीमों के बस का नहीं ज़ख्म जो
उसके तीर-ए-नज़र से बनाया गया
जब अमीरी उड़ी तो लगा पैसे को
बाज़ के जिस्म-ओ-पर से बनाया गया
बेटी की रुख़्सती का ये दस्तूर बस
नारी शक्ति के डर से बनाया गया
सच बताऊँ तो हम दोनों में फ़ासला
एक झूठी खबर से बनाया गया
दर्द दिल का मेरे सर पे चढ़ता नहीं
उसका दिल दर्द-ए-सर से बनाया गया
जब निचोड़ा धनक को तो जाना यही
उसके लब के कलर से बनाया गया
उसकी शादी में खाया तो कड़वा लगा
शाही टुकड़ा शकर से बनाया गया
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