ज़िन्दगी के साथ बहते जा रहे हैं
और अपनी बात कहते जा रहे हैं
वो समझते हैं कि उनकी जीत है ये
हम ख़ुशी से मात सहते जा रहे हैं
एक पल तक जो महल के रूप में थे
वो सभी जज़्बात ढहते जा रहे हैं
नौकरी, घर, और बच्चों की पढ़ाई
के लिए हर बात सहते जा रहे हैं
सोचते हैं अब इन्हें आज़ाद कर दें
हम ग़मों के साथ रहते जा रहे हैं
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