बंगलें तुम्हीं सँभालो मुझको फ़क़ीर घर दो
बेचैन हो गया हूँ कोई नया सफ़र दो
दिल्ली या हस्तिनापुर सब हो तुम्हें मुबारक
मुझ कृष्ण-भक्त को बस वीरान इक नगर दो
मेरे रियाज़ में तुम मेरी नमाज़ में तुम
मेरे लिए ख़ुदा हो सज्दों को कुछ असर दो
मेरी दुआ भी तुम हो मेरी दवा भी तुम हो
बस तुम गले लगा लो कोई न चारा-गर दो
ये शाइरी भी ले लो ये गायकी भी ले लो
जो रास आए तुमको ऐसा कोई हुनर दो
फिर बात कर लो मुझसे फिर साथ चल लो मेरे
फिर तोड़ दो ये दिल तुम फिर से ये आँख भर दो
शायद नहीं अरे वो लेकिन मगर ये क्या है
इन सब से अच्छा तो तुम सीधा मना ही कर दो
ऐ राएगाँ बहारों ऐ फ़ज्र के सितारों
उस दिल-शिकन को जा कर 'रेहान' की ख़बर दो
Read Full