रात भर जाने किसी की अर्ज़ियाँ आती रही हैं
इसलिए मुझको बहुत सी हिचकियाँ आती रही हैं
मैं अकेला बैठ कर तुमको भुलाना चाहता था
ये हुआ है रात भर बस सिसकियाँ आती रही हैं
अब के गर्मी ये शरारत संग मेरे हो रही है
याद नानी घर बिताईं छुट्टियाँ आती रही हैं
मन नहीं लगता यहाँ इस चीखती दिल्ली में मेरा
दम घुटे जब याद माँ की लोरियाँ आती रही हैं
एक दिन ताला लगाकर बंद ख़ुद को कर लिया था
खोलने ताले को ख़ुद ही चाबियाँ आती रही हैं
मुद्दतों के बाद कमरे से निकलना जब हुआ है
साथ मेरे पीछे-पीछे खिड़कियाँ आती रही हैं
आए हैं बाज़ार सन्नाटा समेटे लौटते खन
संग मेरे ख़ुद-ब-ख़ुद ही रस्सियाँ आती रही हैं
देख आओ हाथ उसके वो कहीं पीले नहीं हों
इस महीने गाँव में भी शादियाँ आती रही हैं
इक तुम्हारे ख़त के ख़ातिर मैं न जाने क्यूँ रुका हूँ
याँ मुझे औरों की तो हद चिट्ठियाँ आती रही हैं
साल भर उसके लिए कुछ लिख नहीं पाया ये सुन कर
काटने को हाथ मेरे क़ैचियाँ आती रही हैं
सिर झुकाने जब से मंदिर की कोई चौखट न देखी
सो तभी से काम में आसानियाँ आती रही हैं
कुछ दरिंदों की बदौलत देश की औरत दबी है
देख लो बेटों से आगे बेटियाँ आती रही हैं
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