तिरा दीदार होता है मैं ख़ुद को भूल जाता हूँ
जो तुझसे कह नहीं पाता वही दिल को सुनाता हूँ
इशारा गर न समझोगी तो फिर समझोगी क्या बोलो
मैं जब ग़ज़लें सुनाता हूँ तुम्हीं को पास पाता हूँ
ज़मीं पर तुम फ़लक में चाँद तीजा कौन है बोलो
तुम्हें जब पास पाता हूँ तभी मैं मुस्कुराता हूँ
अगर तुम सोच लोगे तो करोगे क्या नहीं बोलो
है माना मुश्किलें फिर भी वहीं रस्ता बनाता हूँ
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