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मुसलसल हँस रहा हूँ गा रहा हूँ - Azm Shakri

मुसलसल हँस रहा हूँ गा रहा हूँ
तिरी यादों से दिल बहला रहा हूँ

तिरी यादों की बेलें जल गईं सब
मैं फूलों की तरह मुरझा रहा हूँ

ऐ मेरी वहशतो सहरा की जानिब
मुझे आवाज़ दो मैं आ रहा हूँ

किनारे मेरी जानिब बढ़ रहे हैं
मगर मैं हूँ कि डूबा जा रहा हूँ

यहाँ झूटों के तम्ग़े मिल रहे हैं
मैं सच्चा हूँ तो परखा जा रहा हूँ

- Azm Shakri

Life Shayari

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