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आज तो ख़ुदा को भी बेनक़ाब करना है - Prit

आज तो ख़ुदा को भी बेनक़ाब करना है
रे, उसे बुलाओ, उसका हिसाब करना है

आब-ए-चश्म को अपने बहा के सागर में
आज तो मुझे सागर को शराब करना है

छीनकर काँसा उसको अपना ताज देकर के
उस फ़कीर को भी मैने नवाब करना है

शायरी बना कर सब को सुना के ऐसे ही
"प्रीत" हर शख़्स को मैंने गुलाब करना है

- Prit

Khuda Shayari

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