उसके हाथों में जब थी इंतिक़ाम की मेहँदी
मेरी आँखों में थी बस एहतिराम की मेहँदी
दिल पे उभरी हैं यादें मानो रचती है जैसे
राधिका के हाथों पर अपने श्याम की मेहँदी
है नहीं लकीरों में उसके ज़िक्र भी मेरा
जिसके हाथ पे थी कल मेरे नाम की मेहँदी
दिल तो उसने पहले ही दे दिया है मुझको यार
हाथों पे लगी है अब सिर्फ़ नाम की मेहँदी
जिसके नाम कर दी है मैंने ज़िंदगी अपनी
उसके दिल में हाज़िर है इज़्दिहाम की मेहँदी
मेरे ख़ून से उसने हाथ हैं करे पीले
कहने को लगी उसके ला'ल-फ़ाम की मेहँदी
तोड़ना नहीं ये दिल है क़सम तुम्हें मेरी
ख़ूनी होती है 'त्यागी' ख़ुर्द-ख़ाम की मेहँदी
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